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Astronaut अंतरिक्ष से वापस पृथ्वी पर कैसे आते है How Do Astronaut Return to Earth from space Station in hindi

Astronaut Return To Earth अंतरिक्ष में जाकर किसी भी अंतरिक्ष यात्री का कोई प्रयोग करना, अंतरिक्ष यात्री के लिए कोई बड़ी बात नहीं होती है क्योकि किसी प्रयोग करने के लिए अंतरिक्ष में एक नियंत्रित वातावरण विकसित किया जाता है. अंतरिक्ष यात्री के लिए सबसे बड़ा चुनौती उस समय होती है जब अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष से वापस पृथ्वी पर आते है.

यदि आप अभी तक ये नही जानते कि अंतरिक्ष से वापस पृथ्वी पर कैसे आते है| तो आप हमारे साथ बने रहे क्योकि आज आप ये आर्टिकल पढ़कर जान जायेगे कि अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष से वापस पृथ्वी पर कैसे आते है| और पृथ्वी से अंतरिक्ष में कैसे जाते है|

अंतरिक्ष से वापस पृथ्वी पर कैसे आते है| ये जाननें से पहले हमें ये जान लेना चाहिए कि अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में किस प्रकार जाते है|

अंतरिक्ष यात्री जिस यान से अन्तरिक्ष में जाते है उस यान को अंतरिक्ष यान या spacecraft कहते है. ये spacecraft कभी भी पृथ्वी से उडान भरकर नही जाता. इस spacecraft को भी किसी दुसरे माध्यम से अन्तरिक्ष में ले जाया जाता है. और जिस माध्यम से spacecraft को अंतरिक्ष में ले जाता जाता है उस माध्यम को राकेट कहते है.

राकेट ही वो एक मात्र साधन होता है जिससे किसी भी spacecraft, रोबोट या उपग्रह को अंतरिक्ष में ले जाया जाता है.

तो, आइये थोडा ये भी जान लेते है कि राकेट क्या होता है| What Is Rocket In Hindi|

राकेट क्या होता है What Is Rocket In Hindi

ज्यादतर लोग यही सोचते हैं कि एक लंबा-सा और पतला-सा और गोलाकार आकृति वाला यान रॉकेट होता है. क्या वाकई इसी को राकेट कहते है. तो हम आपको बता दे कि इसे राकेट नहीं कहते|

रॉकेट एक तारीके का इंजन होता है जिसका मुख्य काम होता है पेलोड को अंतरिक्ष में ले जाना| राकेट के इस इंजन को मेन इंजन भी कहते है. रॉकेट के बाहर की तरफ बूस्टर रॉकेट लगे हुए होते हैं. जो रॉकेट में अतिरिक्‍त शक्ति उत्‍पन्‍न करते हैं।. या कह सकते है कि इन बूस्टर राकेट की मदद से राकेट में अतिरिक्त थ्रस्ट पैदा किया जाता है.और ये अतिरिक्त थ्रस्ट ही राकेट को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल से बाहर ले जाने में मदद करता है.

राकेट में उत्पन्न थ्रस्ट को राकेट की strength भी कहा जाता है.

राकेट काम कैसे करता है How Rocket Work In Hindi

राकेट न्यूटन के गति के तीसरे नियम पर काम करता है. न्यूटन के गति के तीसरे नियम के अनुसार हर क्रिया की एक प्रतिकिया होती है. इसको एक उदाहरण से समझते हैं जब कभी भी हम किसी गेंद को उपर से निचे की तरफ धरती पर फेकते है. तो वो गेंद एक फोर्स के साथ ऊपर की तरफ उछलती है और जिस फोर्स के साथ ऊपर की तरफ उछलती है वह एक विपरीत फोर्स होता है. इस विपरीत force को reaction force कहते है यह reaction force उस बल के बराबर होता है जिस बल के साथ उस गेंद को नीचे की तरफ फेका गया था.

जब राकेट के मुख्य इंजन को स्टार्ट किया जाता है. तो राकेट में उपस्थित ईधन जलने लगता है. इस ईधन के जलने से गरम गैसों का धुआ पीछे की तरफ राकेट नोजल से high temperature और high velocity के साथ निकलता है. जिससे एक थ्रस्ट फाॅर्स उत्पन्न होता है. और राकेट न्यूटन के गति के तीसरे नियम के अनुसार आगे की तरफ चलता है.

यह thrust force जैसे-जैसे बढता है वैसे-वैसे ही राकेट कि speed भी बढती जाती है.

हवाई जहाज की तरह ही रॉकेट को चलाने के लिए इंधन की जरुरत होती है रॉकेट और हवाई जहाज में इतना ही अंतर होता है कि राकेट को चलाने के लिए इसके साथ ऑक्सीजन सिलिंडर इसके अन्दर ही होते है बाहरी ऑक्सीजन कि जरुरत नही होती है. जबकि हवाई जहाज में ऐसा नही होता है इसको चलाने के लिए बाहरी ऑक्सीजन कि जरुरत होती है. और इसका अपना कोई ऑक्सीजन सिलिंडर नही होता है. जब रॉकेट में इंधन को जलया जाता है तो,ईधन के जलने पर रॉकेट में गरम कैसे का धुआ बनता है और ही धुआ सॉकेट की बनावट के कारण नीचे की तरफ स्पीड के साथ बहार निकलता है न्यूटन की गति के तीसरे नियम के एक क्रिया की प्रतिकिया होती है. इस नियम के अनुसार जितनी स्पीड से रॉकेट से ये धुआ पीछे की तरफ निकलता है उतना ही ज्यादा thrust force create से होता है.और रॉकेट उतनी ही स्पीड से आगे की तरफ जाता है

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रॉकेट के चारो तरफ स्पीडबूस्टर लगे हुए होते हैं जो राकेट की efficiency को बढ़ाते है. जेट इंजन (जवाई जहाज) हवा से ऑक्सीजन लेकर काम करता है जबकि रॉकेट इंजन के लिए ऐसा जरुरी नही होता. वह अपने साथ लेकर ऑक्सीजन लेकर चलता है जब रॉकेट में ईधन को जलया जाता है तो ये ईधन गरम गैसों में बदल जाता है.और इंजन इन गरम गैसों को पीछे की तरफ छोडता है.

रॉकेट में मुख्य रूप से दो इंजन का उपयोग होता है लिक्विड या सॉलिड फ्यूल| लेकिन ज्यादातर लिक्विड फूल का अपयोग किया जाता है रॉकेट में लिक्विड फ्यूल के रूप में हाइड्रोजन या ऑक्सीजन का उपयोग किया जाता है.

स्पीड बूस्टर को प्रो बूस्टर रॉकेट भी कहते हैं या बूस्टर रॉकेट को पृथ्वी की कक्ष से बहार निकलने में मदद करते हैं या कह सकते हैं कि रॉकेट को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बहार निकलने के लिए extra force देते है.

इन राकेट में सॉलिड फ्यूल का अपयोग किया जाता है क्योंकि इन राकेट का प्रयोग पृथ्वी के अंदर ही किया जाता है. जैसे ही रॉकेट स्पेस में पहुचता है. इन राकेट का ईधन खतम हो जाता है और ये राकेट अपने मुख्य राकेट से ख़तम हो जाते है.

जैसे ही रॉकेट अंतरिक्ष यान अंतरिक्ष में पहूँचा है रॉकेट इंजन भी तरिक्ष यान से अलग हो जाता है अब spacecraft मैं बैठे astronauts के ऊपर सारी जिम्मेदारी एक जाती है क्योंकि अब तक तो रॉकेट को पृथ्वी पर बैठे वैज्ञानिक नियंत्रण कर रहे थे लेकिन जैसे ही वह spacecraft अलग होता है तो अब इसकी नेविगेशन astronauts के हाथ में होती है.

स्पेसक्राफ्ट को भी हवाई जहां की तरह ही कंट्रोल किया जाता है हवाई जहां की तरह ही स्पेसक्राफ्ट में भी सारा कंट्रोल सिस्टम स्पेसक्राफ्ट के आगे की तरह होता है

जब इन एस्ट्रोनॉट का अंतरिक्ष में मिशन पूरा हो जाता है तो वापस पृथ्वी पर एक जाते हैं. अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष से वापस पृथ्वी पर कैसे आते हैं आइये जानते है.

Astronaut पृथ्वी पर Space Station से वापस कैसे आते है How Astronaut Come Back To Earth From Space Station In Hindi

यदि आप सोचते हैं कि जैसे अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी से अंतरिक्ष पर जाते हैं वैसे ही अंतरिक्ष से वापस पृथ्वी पर भी आ जाते हैं लेकिन हम आपको बता दे कि जब अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में जाते हैं तो वो रॉकेट से पृथ्वी के gravitation force से बहार निकलते हैं और अंतरिक्ष में जाकर ये रॉकेट स्पेसक्राफ्ट से अलग हो जाता है और वापस पृथ्वी पर ही गिर जाता है लेकिन वापस आते समय astronauts  के पास कोई रॉकेट नहीं होता. तो अंतरिक्ष यात्री वापस पृथ्वी पर कैसे आते है. How Do Astronaut Return To Earth From Space Station In Hindi

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स्पेस में जाना उतना मुश्किल नहीं होता जितना वापस पृथ्वी पर आना होता है क्योंकि उस समय स्पेसक्राफ्ट की स्पीड लगभाग 17 हजार 500 Mile/Hour की होती है.

पृथ्वी पर वापस आने के लिए अंतरिक्ष यान धीरे-धीरे पृथ्वी के चारो तरह चक्कर लगते हैं पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करते समय Spacecraft को तेज और गर्म हवा का सामना करना पड़ता है ये हवा इतनी गरम होती है कि अंतरिक्ष यान उनके घर्षण के कारण जलकर रख भी हो सकता है इससे बचने के लिए स्पेसक्राफ्ट के ऊपर एक विशेष कि Heat Resistant चादर लगी होती है. अब यदि किसी कारण से यह चादर टूट जाए तो इस अंतरिक्ष यान का वापस पृथ्वी पर आना शायद ही मुश्किल होगा.

शायद आपको ये पता न हो लेकिन हम आपको बता दे की कल्पना चावला जो अन्तरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला थी. जब उनका अंतरिक्ष यान पृथ्वी पर आ रहा था तो उनके साथ एक हादसा हुआ जिस कारण कल्पना चावला और उनके साथ बैठा अंतरिक्ष यात्रा की मौत हो गई। वैसा तो, नासा ये कभी भी नहीं बताता कि किस कारण से उस दिन अंतरिक्ष यान में बैठे आंतरिक यात्री की मौत हुई. लेकिन एक रिपोर्ट कि मुताबिक कल्पना चावला की मौत का मुखिया कारण उनके अंतरिक्ष यान के engine में खराबी आना था. जिस कारण उनके यान में एक होल हो चूका था और ये होल उस समय हुआ था जब वो पृथ्वी से अन्तरिक्ष में जा रही थी. और नासा को भी ये सब तभी मालूम चल चूका था.

लेकिन ये सब नासा ने किसी भी अन्तरिक्ष यात्री को नही बताया क्योकि नासा यदि ये सब बता देता तो कोई भी अन्तरिक्ष यात्री अपना काम सही से नही कर पाता और नासा का ये मिशन complete नही हो पता.

जब यह अंतरिक्ष यान पृथ्वी की सतह के नजदिक आ जाता है तो यह सतह के parallel होता जाता है. और फिर बिलकुल हवाई जहां की तरह ही अन्तरिक्ष यान की लैंडिंग करा ली जाती है लेकिन अंतरिक्ष यान की लैंडिंग इतनी भी आसान नही होती है क्योंकि लैंडिंग की समय spacecraft की speed बहुत तेज होती है. इस कारण लैंडिंग के समय इसमे पीछे की तरफ एक para suit खोल दिया जाता है. स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग भी रनवे पर ही की जाति है लेकिन कुछ ऐसे भी अंतरिक्ष यान है जिनकी लैंडिंग समुद्र में कराई जाती है. जैस – mercury, Gemini, Apollo, soyuzi आदि.

स्पेसक्राफ्ट की समुद्र में लैंडिंग को स्प्लैशडाउन भी कहा जाता है समुद्र में स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग से स्पेसक्राफ्ट के डूबने का खतरा बना रहता है

Conclusion

दोस्तो, आज के इस आर्टिकल में हमने आपको बताया कि Astronaut अंतरिक्ष से वापस पृथ्वी पर कैसे आते है.

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